मैं वाक़िफ़ हूँ तिरी चुप-गोइयों से By Sher << उम्र भर चल के भी पाई नहीं... इक ख़ौफ़-ए-बे-पनाह है आँख... >> मैं वाक़िफ़ हूँ तिरी चुप-गोइयों से समझ लेता हूँ तेरी अन-कही भी Share on: