मक़ाम-ए-वस्ल तो अर्ज़-ओ-समा के बीच में है By Sher << सफ़र के बाद भी ज़ौक़-ए-सफ... मैं यूँ ही नहीं अपनी हिफ़... >> मक़ाम-ए-वस्ल तो अर्ज़-ओ-समा के बीच में है मैं इस ज़मीन से निकलूँ तू आसमाँ से निकल Share on: