मख़रब-ए-कार हुई जोश में ख़ुद उजलत-ए-कार By Sher << चलने की इजाज़त है फ़क़त त... वो आईना हो या हो फूल तारा... >> मख़रब-ए-कार हुई जोश में ख़ुद उजलत-ए-कार पीछे हट जाएगी मंज़िल मुझे मालूम न था Share on: