मन धन सब क़ुर्बान किया अब सर का सौदा बाक़ी है By Sher << जुस्तुजू का इक अजब सिलसिल... ज़िंदगी सुंदर ग़ज़ल है दो... >> मन धन सब क़ुर्बान किया अब सर का सौदा बाक़ी है हम तो बिके थे औने-पौने प्यार की क़ीमत कम न हुई Share on: