मंज़िल जिसे समझते थे यारान-ए-क़ाफ़िला By Sher << धो के तू मेरा लहू अपने हु... किस क़यामत की घुटन तारी ह... >> मंज़िल जिसे समझते थे यारान-ए-क़ाफ़िला पहुँचे जो उस जगह तो फ़क़त संग-ए-मील था Share on: