कुछ अब्र को भी ज़िद है 'मंज़र' मिरी तौबा से By Sher << मैं तिनके चुनता फिरता हूँ... किसी आँख में नींद आए तो ज... >> कुछ अब्र को भी ज़िद है 'मंज़र' मिरी तौबा से जब अहद किया मैं ने घनघोर घटा छाई Share on: