मर्द-ए-दरवेश हूँ तकिया है तवक्कुल मेरा By Sher << मसनद-ए-शाही की हसरत हम फ़... मैं वो ग़म-दोस्त हूँ जब क... >> मर्द-ए-दरवेश हूँ तकिया है तवक्कुल मेरा ख़र्च हर रोज़ है याँ आमद-ए-बालाई का Share on: