मारे हया के हम से वो कल बोलता न था By Sher << मर्ग की देखते ही शक्ल गए ... मार नहिं डालते हैं यूँ उस... >> मारे हया के हम से वो कल बोलता न था हम छेड़ छेड़ कर उसे लाए सुख़न के बीच Share on: