मरते मरते इसी बुत का मुझे कलमा पढ़ना By Sher << मत गोर-ए-ग़रीबाँ पर घोड़े... मर्ग की देखते ही शक्ल गए ... >> मरते मरते इसी बुत का मुझे कलमा पढ़ना इस में काफ़िर कोई समझे कि मुसलमाँ मुझ को Share on: