मसअला ख़त्म हुआ चाहता है By Sher << वक़्त भी अब मिरा मरहम नही... नाहीद ओ क़मर ने रातों के ... >> मसअला ख़त्म हुआ चाहता है दिल बस अब ज़ख़्म नया चाहता है Share on: