मशरब में तो दुरुस्त ख़राबातियों के है By Sher << ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना ह... शाम होने को है जलने को है... >> मशरब में तो दुरुस्त ख़राबातियों के है मज़हब में ज़ाहिदों के नहीं गर रवा शराब Share on: