मता-ए-ग़म मिरे अश्कों ही तक नहीं महदूद By Sher << हम सा मिले कोई तो कहें उस... बुत-परस्तों कूँ है ईमान-ए... >> मता-ए-ग़म मिरे अश्कों ही तक नहीं महदूद इन्हीं में टूटे सितारों को भी शुमार करो Share on: