मातम में फ़ौत-ए-उम्र के रोता हूँ रात दिन By Sher << मौसम-ए-होली है दिन आए हैं... मत गोर-ए-ग़रीबाँ पर घोड़े... >> मातम में फ़ौत-ए-उम्र के रोता हूँ रात दिन दुनिया में मुझ सा कम है कोई सोगवार शख़्स Share on: