'मतीन' उन का करम वाक़ई करम है तो फिर By Sher << गली के मोड़ से घर तक अँधे... चमक है दर्द है कौंदन पड़ी... >> 'मतीन' उन का करम वाक़ई करम है तो फिर ये बे-रुख़ी ये तग़ाफ़ुल ये बरहमी क्या है Share on: