मौत के खूँ-ख़्वार पंजों में सिसकती है हयात By Sher << कोई पाबंद-ए-मोहब्बत ही बत... अब तो उस के बारे में तुम ... >> मौत के खूँ-ख़्वार पंजों में सिसकती है हयात आज है इंसानियत की हर अदा सहमी हुई Share on: