मय-कशी का है ये शौक़ उस को कि आईने में By Sher << मैं सच कहूँगी मगर फिर भी ... इज्ज़-ओ-नियाज़ अपना अपनी ... >> मय-कशी का है ये शौक़ उस को कि आईने में कान के झुमके को अंगूर का ख़ोशा समझा Share on: