मय-ख़ाना सलामत है तो हम सुर्ख़ी-ए-मय से By Sher << मक़ाम 'फ़ैज़' कोई... ख़ैर दोज़ख़ में मय मिले न... >> मय-ख़ाना सलामत है तो हम सुर्ख़ी-ए-मय से तज़ईन-ए-दर-ओ-बाम-ए-हरम करते रहेंगे Share on: