मज़मून के भी शे'र अगर हों तो ख़ूब हैं By Sher << मीज़ान-ए-अदालत हैं मिरे द... मज़ा मतला का दे फ़िक्र-ए-... >> मज़मून के भी शे'र अगर हों तो ख़ूब हैं कुछ हो नहीं गई ग़ज़ल-ए-आशिक़ाना फ़र्ज़ Share on: