वो तीरा-बख़्त हूँ कि 'हसन' मेरी बज़्म में By Sher << ये दिल कुछ आफी हो जाता है... वो ताब-ओ-तवाँ कहाँ है यार... >> वो तीरा-बख़्त हूँ कि 'हसन' मेरी बज़्म में दाग़-ए-सियह चराग़ है और दूद आह-ए-शम्अ' Share on: