अहल-ए-ईमाँ 'सोज़' को कहते हैं काफ़िर हो गया By Sher << दिल आबाद कहाँ रह पाए उस क... याद-ए-जानाँ उतर के आई है >> अहल-ए-ईमाँ 'सोज़' को कहते हैं काफ़िर हो गया आह या रब राज़-ए-दिल इन पर भी ज़ाहिर हो गया Share on: