में इज़्तिराब के आलम में रक़्स करता रहा By Sher << बहुत आसान है दो घूँट पी ल... दिल की इक एक ख़राबी का सब... >> में इज़्तिराब के आलम में रक़्स करता रहा कभी ग़ुबार की सूरत कभी धुआँ बन कर Share on: