मेरा मज़हब इश्क़ का मज़हब जिस में कोई तफ़रीक़ नहीं By Sher << दिल भर आया काग़ज़-ए-ख़ाली... हिज्र में कैफ़-ए-इज़्तिरा... >> मेरा मज़हब इश्क़ का मज़हब जिस में कोई तफ़रीक़ नहीं मेरे हल्क़े में आते हैं 'तुलसी' भी और 'जामी' भी Share on: