मेरा ये दुख कि मैं सिक्का हूँ गए वक़्तों का By Sher << फेरा बहार का तो बरस दो बर... लकीर खींच के बैठी है तिश्... >> मेरा ये दुख कि मैं सिक्का हूँ गए वक़्तों का तेरा हो कर भी तिरे काम नहीं आ सकता Share on: