मेरी फ़रियाद कोई नईं सुनता By Sher << गो कि तू 'मीर' से... तलाश करनी थी इक रोज़ अपनी... >> मेरी फ़रियाद कोई नईं सुनता कोई इस शहर में भी बस्ता है Share on: