मेरी निगाह-ए-शौक़ भी कुछ कम नहीं मगर By Sher << ये है कि झुकाता है मुख़ाल... जिस के मुँह की उतर गई लोई >> मेरी निगाह-ए-शौक़ भी कुछ कम नहीं मगर फिर भी तिरा शबाब तिरा ही शबाब है Share on: