मेरी संजीदा तबीअत पे भी शक है सब को By Sher << तू एक साल में इक साँस भी ... यहाँ न मैं हूँ न तू है न ... >> मेरी संजीदा तबीअत पे भी शक है सब को बाज़ लोगों ने तो बीमार समझ रक्खा है Share on: