मिल भी जाता जो कहीं आब-ए-बक़ा क्या करते By आब, Sher << ये क्या कि आज कोई नाम तक ... ख़िरामाँ ख़िरामाँ मोअत्तर... >> मिल भी जाता जो कहीं आब-ए-बक़ा क्या करते ज़िंदगी ख़ुद भी थी जीने की सज़ा क्या करते Share on: