मिरे चमन की ख़िज़ाँ मुतमइन रहे कि यहाँ By Sher << मिलेगी शैख़ को जन्नत हमें... जो ठोकर ही नहीं खाते वो स... >> मिरे चमन की ख़िज़ाँ मुतमइन रहे कि यहाँ ख़ुदा के फ़ज़्ल से अंदेशा-ए-बहार नहीं Share on: