मिरे दिल से कभी ग़ाफ़िल न हों ख़ुद्दाम-ए-मय-ख़ाना By Sher << शहर का तब्दील होना शाद रह... शहर-ए-दिल आबाद था जब तक व... >> मिरे दिल से कभी ग़ाफ़िल न हों ख़ुद्दाम-ए-मय-ख़ाना ये रिंद-ए-ला-उबाली बे-पिए भी तो बहकता है Share on: