मिरे ख़ुलूस पे शक की तो कोई वज्ह नहीं By Sher << जो शाम होती है हर रोज़ हा... अब तो इतनी बार हम रस्ते म... >> मिरे ख़ुलूस पे शक की तो कोई वज्ह नहीं मिरे लिबास में ख़ंजर अगर छुपा निकला Share on: