मिरे साज़-ए-नफ़स की ख़ामुशी पर रूह कहती है By Sher << आज क्या जाने वो क्यूँ आरा... इश्क़ की नाव पार क्या होव... >> मिरे साज़-ए-नफ़स की ख़ामुशी पर रूह कहती है न आई मुझ को नींद और सो गया अफ़्साना-ख़्वाँ मेरा Share on: