मिरी इस चश्म-ए-तर से अब्र-ए-बाराँ को है क्या निस्बत By Sher << लुत्फ़-ओ-सितम वफ़ा जफ़ा य... पर्दे का मुख़ालिफ़ जो सुन... >> मिरी इस चश्म-ए-तर से अब्र-ए-बाराँ को है क्या निस्बत कि वो दरिया का पानी और ये ख़ून-ए-दिल है बरसाती Share on: