मिरी क़िस्मत की कश्ती बहर-ए-ग़म में डूब सकती थी By Sher << तारों का गो शुमार में आना... आफ़रीं तुझ को हसरत-ए-दीदा... >> मिरी क़िस्मत की कश्ती बहर-ए-ग़म में डूब सकती थी तिरी तक़दीर से शायद मिरी तक़दीर उभरी है Share on: