मिरी प्यास का तराना यूँ समझ न आ सकेगा By Sher << ग़म का सूरज तो डूबता ही न... साँस लेने भी न पाया था कि... >> मिरी प्यास का तराना यूँ समझ न आ सकेगा मुझे आज सुन के देखो मिरी ख़ामोशी से आगे Share on: