मिरी शाएरी में न रक़्स-ए-जाम न मय की रंग-फ़िशानियाँ By Sher << है दसहरे में भी यूँ गर फ़... मैं तल्ख़ी-ए-हयात से घबरा... >> मिरी शाएरी में न रक़्स-ए-जाम न मय की रंग-फ़िशानियाँ वही दुख-भरों की हिकायतें वही दिल-जलों की कहानियाँ Share on: