हमारे शेर हैं अब सिर्फ़ दिल-लगी के 'असद' By Sher << रखो दैर-ओ-हरम को अब मुक़फ... सुना है बोले तो बातों से ... >> हमारे शेर हैं अब सिर्फ़ दिल-लगी के 'असद' खुला कि फ़ाएदा अर्ज़-ए-हुनर में ख़ाक नहीं Share on: