होगा कोई ऐसा भी कि 'ग़ालिब' को न जाने By Sher << तो क्या सच-मुच जुदाई मुझ ... तुम तकल्लुफ़ को भी इख़्ला... >> होगा कोई ऐसा भी कि 'ग़ालिब' को न जाने शाइर तो वो अच्छा है प बदनाम बहुत है Share on: