बे-ख़ुदी बे-सबब नहीं 'ग़ालिब' By Sher << हमारी ही तमन्ना क्यूँ करो... पाँव के हाथ से गर्दिश ही ... >> बे-ख़ुदी बे-सबब नहीं 'ग़ालिब' कुछ तो है जिस की पर्दा-दारी है Share on: