तारिक-ए-दुनिया है जब से 'मुंतही' By Sher << मुझे ये फ़िक्र सब की प्या... हरम को छोड़ रहूँ क्यूँ न ... >> तारिक-ए-दुनिया है जब से 'मुंतही' मिस्ल-ए-बेवा मादर-ए-अय्याम है Share on: