तौबा के टूटते का है 'माइल' मलाल क्यूँ By Sher << मैं ख़ून बहा कर भी हुआ बा... ऐसा भी कोई ग़म है जो तुम ... >> तौबा के टूटते का है 'माइल' मलाल क्यूँ ऐसी तो होती रहती है अक्सर शबाब में Share on: