मोहतसिब भी पी के मय लोटे है मयख़ाने में आज By Sher << शैख़ कुछ अपने-आप को समझें मिट्टी जब तक नम रहती है >> मोहतसिब भी पी के मय लोटे है मयख़ाने में आज हाथ ला पीर-ए-मुग़ाँ ये लौटने की जाए है Share on: