एक मुद्दत की रिफ़ाक़त का हो कुछ तो इनआ'म By Sher << इस तरह कुछ बदल गई है ज़मी... आज कुआँ भी चीख़ उठा है >> एक मुद्दत की रिफ़ाक़त का हो कुछ तो इनआ'म जाते जाते कोई इल्ज़ाम लगाते जाओ Share on: