हमारी जान पे दोहरा अज़ाब है 'मोहसिन' By Sher << जाने किन मुश्किलों से जीत... अब के वो ऐसे सफ़र पर क्या... >> हमारी जान पे दोहरा अज़ाब है 'मोहसिन' कि देखना ही नहीं हम को सोचना भी है Share on: