मुँह बाँध कर कली सा न रह मेरे पास तू By Sher << मैं ने कैसे कैसे मोती ढूँ... देता है रोज़ रोज़ दिलासे ... >> मुँह बाँध कर कली सा न रह मेरे पास तू ख़ंदाँ हो कर के गुल की सिफ़त टुक सुख़न में आ Share on: