ये ग़म-कदा है इस में 'मुबारक' ख़ुशी कहाँ By Sher << ज़ाहिदो दावत-ए-रिंदाँ है ... मैं भी पलकों पे सजा लूँगा... >> ये ग़म-कदा है इस में 'मुबारक' ख़ुशी कहाँ ग़म को ख़ुशी बना कोई पहलू निकाल के Share on: