मुद्दत से गुम हुआ दिल-ए-बेगाना ऐ 'सिराज' By Sher << न बूझो आसमाँ पर तुम सितार... तुझे शनाख़्त नहीं है मिरे... >> मुद्दत से गुम हुआ दिल-ए-बेगाना ऐ 'सिराज' शायद कि जा लगा है किसी आश्ना के हाथ Share on: