मुद्दतें हो गईं हिसाब किए By Sher << मुझ को अक्सर उदास करती है मोहब्बत के आदाब सीखो ज़रा >> मुद्दतें हो गईं हिसाब किए क्या पता कितने रह गए हैं हम Share on: