मुद्दतों घाव किए जिस के बदन पर हम ने By Sher << सर-बुलंदी मिरी तंहाई तक आ... मिट्टी को चूम लेने की हसर... >> मुद्दतों घाव किए जिस के बदन पर हम ने वक़्त आया तो उसी ख़्वाब को तलवार किया Share on: