मुफ़्लिस के दिए की सी तिरा दाग़-ए-दिल अपना By Sher << मुहताज-ए-ज़ेब-ए-आरियती कब... मु-ए-जुज़ 'मीर' ज... >> मुफ़्लिस के दिए की सी तिरा दाग़-ए-दिल अपना इक शब न जला बस-कि हुआ शाम से मअ'ज़ूल Share on: