मुँह पर नक़ाब-ए-ज़र्द हर इक ज़ुल्फ़ पर गुलाल By Sher << मेरे ग़ुबार की ये तअ'... जान ले लेना जलाना खेल है ... >> मुँह पर नक़ाब-ए-ज़र्द हर इक ज़ुल्फ़ पर गुलाल होली की शाम ही तो सहर है बसंत की Share on: